ईवीएम की विश्वसनीयता पर विपक्ष को संदेह; ईवीएम पर विपक्ष की आपत्तियों की उपेक्षा क्यों नहीं की जानी चाहिए

ईवीएम

2024 चुनाव से पहले कांग्रेस ने एक बार फिर ईवीएम का राग अलापना शुरू कर दिया है. कांग्रेस नेता सैम पित्रोदा ने EVM पर सवाल उठाए हैं. सैम पित्रोदा ने कहा कि EVM के मुद्दे को सुलझाया नहीं गया तो बीजेपी 400 से ज्यादा सीट जीत सकती है.

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उन्होंने कहा कि ये चुनाव भारत के भाग्य का फैसला करेंगे, ऐसे में हर वोट पर VVPAT वोटर को मिलना चाहिए, वहीं उन्होंने चुनाव आयोग पर सवाल उठाते हुए कहा कि विपक्ष की शिकायतों के वावजूद वो इसको लेकर गंभीर नहीं नहीं है, चुनाव आयोग ने हमेशा EVM की आशंकाओं को खारिज किया है.

वही दिग्विजयसिंह ने भी ईवीएम से वोटिंग की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए। कहा मतदान के बाद पर्ची देखने का नागरिकों को भी अधिकार है। निष्पक्ष चुनाव के लिये पर्ची से करवाएं काउंटिंग

Paramita Infotech

इंदौर में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजयसिंह ने हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने EVM से वोटिंग की विश्वसनीयता पर सवाल उठाते हुए कहा कि मतदान की गणना वीवीपैट की पर्ची से ही होना चाहिए। वोटिंग ईवीएम से ही होना चाहिए लेकिन वोटिंग के बाद जो पर्ची वीवीपैट में डलती है उसे लोगों के हाथ में ही देना चाहिए। जिन लोगों ने मतदान किया है वही एक अलग बॉक्स में उस पर्ची को डालें। इसमें गलत क्या है। यह देश के 90 करोड़ मतदाताओं का अधिकार है। पेटी में डाली गई पर्चियों की काउंटिंग करें और फिर उससे चुनाव परिणाम घोषित किए जाएं।

पूर्व सीएम ने आगे कहा कि हमें वीवीपैट में कुछ मत दिखाइए लेकिन जो पर्ची छपी है वो हमारे हाथ में दे दीजिए। उसे हम देख लेंगे। वोट करने के बाद एक मतपेटी में डाल देंगे। इसके बाद मतपेटी में डाली गई स्लीप की काउंटिंग कर दीजिए।

इंदौर आए दिग्विजयसिंह ने बुधवार सुबह ईवीएम हटाओ देश बचाओ, लोकतंत्र बचाओ लिखते हुए ट्वीट भी किया। इसमें उन्होंने चुनाव आयोग पर सवाल उठाए हैं।

उन्होंने ट्वीट किया कि निर्वाचन आयोग विपक्ष की बैठक में बाधा क्यों डाल रहा है? हम उस चुनाव आयोग पर कैसे भरोसा करें जो प्रमुख विपक्षी दलों से मिलने से ही इनकार करता है? आयोग और अधिक पारदर्शी क्यों नहीं हो सकता ? उन्होंने पूछा कि अगर यह इतना सुरक्षित है कि कोई भी इसे हैक या हेरफेर नहीं कर सकता है तो सार्वजनिक डोमेन में चिप पर सोर्स कोड क्यों नहीं ला सकता है।

इस वर्ष आम चुनाव होने हैं और कई राजनीतिक दलों ने ईवीएम और वीवीपैट की विश्वसनीयता पर संदेह जताया है। एक सॉफ्टवेयर विशेषज्ञ बताते हैं कि क्यों इन शंकाओं को दूर किया जा सकता है

पूर्व नौकरशाह कन्नन गोपीनाथन ने इस बारे में बात की कि मतपत्र से ईवीएम में चुनाव कैसे विकसित हुए और हमें वीवीपैट जैसी सुविधाओं पर चिंता क्यों नहीं करनी चाहिए

कन्नन गोपीनाथन ने कहा कि वह इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) के कट्टर समर्थक थे और यहां तक कि वोटर वेरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) की शुरुआत भी कर चुके हैं। यह तब तक था जब उन्होंने देखा कि यह 2019 में कैसे काम करता था जब वह भारतीय प्रशासनिक सेवा में थे और जिला निर्वाचन अधिकारी के रूप में काम करते थे।

मतदाता को अपने वोट की पुष्टि करने और यह सुनिश्चित करने के लिए कि मतदाता के इरादे और रिकॉर्ड किए गए वोट के बीच कोई विसंगति न हो, वीवीपैट की शुरुआत की गई थी। एक मुद्रित कागज की पर्ची, जो मतदान को प्रदर्शित करती है, बॉक्स में गिरने से पहले लगभग सात सेकंड के लिए एक ग्लास के माध्यम से मतदाता को दिखाई देती है।

सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से कहा है कि हर विधानसभा क्षेत्र में वीवीपैट की पर्ची के साथ पांच ईवीएम की गिनती की जाए। अब देखना ये है की चुनाव आयोग इस पर आगे अपनी क्या प्रतिक्रिया देता है।